अहा , ग्राम्य जीवन भी क्या है ...?re simple than village life...

Some true stories about village life

जोधपुर के आसपास ग्राम्य जीवन की झलकियाँ

सोमवार, 21 सितंबर 2009

सालावास का दरी उद्योग


जोधपुर के आस पास अनेक गाँव मैं दरी बुनने का काम बड़े पैमाने पर होता है.अधिकांशत: यह काम मेघवाल जाती के लोंगो द्वारा किया जाता है.यह दरी इंडियन कारपेट के रूप मैं निर्यात की जाती है.मैं इस उद्योग से बहुत प्रभावित हुआ .यहाँ तक की कें विकिपीडिया पर एक वेब पेज भी बना डाला.
http://en.wikipedia.org/wiki/Dhurrie

यह ग्रामीण छेत्रों मैं रोजगार का अच्छा साधन है यह वो कुटीर उद्योग है जो शायद गांधीजी के सपनों का भारत बनाता है.अगर आप कभी जोधपुर की तरफ घूमने आएं तो यादगार के लिए एक दरी खरीदना मत भूलियेगा.

4 टिप्‍पणियां:

  1. वाकई सालावास दरी उद्योग में अनूठी कला है.आपके प्रयासों को सराहना और शुभकामनाए !

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  2. तिंवरी से आगे एक मेघवाल की ढाणी में दरी बनाते मैंने भी बहुत साल पहले देखा था | ये लोग वाकई बहुत बढ़िया शिल्पकार है |

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  3. बहुत शानदार दरी बनाते है ये लोग.. छोटी छोटी बाते अच्छी लगी..

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  4. बहुत अच्छा काम है कोई मुझे सैम्पल का फोटो भेजै ई मेल. Manglaram121@live.com

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